Bhagat Singh - The Fearless वीर भगत सिंह और इनके दो अन्य साथि | Indian Army
Bhagat Singh - The Fearless
वीर भगत सिंह और इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव पर साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद में बम विस्फोट का मुकदमा चल रहा था | 7 अक्तूबर, 1930 को अदालत में फांसी की सजा सुनाई गई। फाँसी का दिन २४ मार्च सन 1931 को तय हुवा |
मुक़दमे के बीच मे एक बार सरकारी वकील के बयान पर भगत सिंह जी को हँसी आ गयी , इसपर सरकारी वकील ने कहा – आप अदालत का अपमान कर रहे है | इसपर वीर भगत सिंह हँसकर बोले – मे तो जीवन भर हँसता रहूँगा | आज आप हम पर दोष लगा रहे हो परंतु जब मे फाँसी के तख्ते पर हसूंगा तब आप कौन सी अदालत मे सिकायत करोगे |
जेल के मुताबिक फाँसी सुबह मे होती है ,लेकिन सरकार इतनी डरी हुयी थी की उनको २३ मार्च 1931 को शाम को ही फाँसी दे दी गयी | फाँसी पर झूलने से पहले इन वीरो ने स्वतंत्रता का गाना गाया और हँसते – हँसते फाँसी का फंदा गले मे डाल लिया |
मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला॥